धर्म का अपमान मत कीजिए, यह अन्याय है
कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तुलसी के पौधे को लेकर हो रही राजनीतिक बयानबाजी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे छोटी सोच की राजनीति करार देते हुए स्पष्ट कहा कि धार्मिक प्रतीकों और आस्था के पौधों के साथ राजनीति करना भगवान का अपमान है। इसके साथ ही ममता ने केंद्र सरकार पर भी 100 दिन के काम को लेकर करारा हमला बोला और हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी।
ममता बनर्जी ने कहा कि अगर बेलूर मठ के पास दरगाह हो सकती है तो फिर तुलसी को लेकर इतनी राजनीति क्यों? पौधों को पवित्र भावना से कहीं भी लगाया जा सकता है, लेकिन मर्यादा जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि मेरे घर में 40 तरह की तुलसी हैं। तुलसी में लक्ष्मी और नारायण का वास होता है, लेकिन अगर आप एक फल विक्रेता के स्थान पर जबरन तुलसी का पौधा लगा देते हैं, तो यह अपमान है। आपने जगन्नाथ और श्रीकृष्ण को अर्पित की जाने वाली तुलसी को राजनीतिक हथियार बना दिया। ममता ने ऐसे लोगों को चेतावनी दी जो धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आपको तुलसी लगानी थी तो अपने घर में लगाते, दूसरों की जगह कब्जा कर आस्था का अपमान क्यों? यह अन्याय है, और ईश्वर का अपमान है। ममता बनर्जी ने कहा कि लोग दुर्गा पूजा में अपने पैतृक घर जाते हैं, तो क्या हम उनके घर पर कब्जा कर लें? लोगों को उनकी आस्था के अनुसार जीने का अधिकार है।100 दिन के काम पर ममता की दो टूक सामने आया है। उन्होंने कहा कि पहले बकाया भुगतान करें केंद्र।
मनरेगा (100 दिन का काम) पर हाईकोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। लेकिन हम इसकी समीक्षा करेंगे क्योंकि हमारा सवाल बकाया राशि का है। ये पैसा उनका नहीं, जनता का है। हमारा अधिकार है इसे पाना। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों से केंद्र ने आवास योजना, ग्रामीण सड़क योजना और मनरेगा में कोई फंड नहीं दिया। पहले उस बकाया राशि का भुगतान करें। हमने खुद कर्मश्री योजना शुरू की ताकि जिन लोगों ने काम किया और पैसा नहीं मिला, उन्हें राहत दी जा सके। ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार की बेरुखी का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हमारे सांसद और विधायक दिल्ली में प्रदर्शन करने गए तो उनके खिलाफ केस कर दिया गया। हमने दिल्ली में जिन मंत्रियों से मिलने का समय लिया था, उन्होंने भी हमें नहीं मिलाया। हमारे लोग मेरे घर के पास विरोध करते हैं, यही लोकतंत्र है। अगर लोकतंत्र नहीं होता तो विरोध करने नहीं दिया जाता।एक हालिया घटना का जिक्र करते हुए ममता ने कहा कि आपने मेरे घर के पास चप्पल फेंकने की कोशिश की, लेकिन वह मेरे सिख भाई की पगड़ी पर गिरी। अगर यही घटना आपके घर के पास होती तो क्या होता? हम प्रधानमंत्री के घर का घेराव कर सकते थे, लेकिन हमने कभी ऐसा नहीं किया क्योंकि हम उस पद का सम्मान करते है।
ममता बनर्जी ने आज धार्मिक आस्था, राजनीतिक मर्यादा और सामाजिक जिम्मेदारी को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष पर कई अहम सवाल उठाए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि तृणमूल कांग्रेस न तो धर्म के नाम पर राजनीति को बर्दाश्त करेगी और न ही अपने राज्य के अधिकारों पर किसी तरह का समझौता करेगी। 100 दिन की योजना को लेकर अब केंद्र और राज्य के बीच टकराव और तेज होने के आसार हैं।